
Anti-Dumping Duty यानी डंपिंग-रोधी शुल्क को लेकर भारत सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। भारत ने चीन से आयात होने वाले चार प्रमुख उत्पादों पर एंडी डंपिंग शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। ये उत्पाद हैं – वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क, सॉफ्ट फेराइट कोर, ट्राइक्लोरो आइसोसायन्यूरिक एसिड और एल्युमीनियम फॉयल। यह फैसला वाणिज्य मंत्रालय की जांच एजेंसी डीजीटीआर (DGTR – Directorate General of Trade Remedies) की सिफारिश के बाद लिया गया है। इस शुल्क का उद्देश्य घरेलू कंपनियों को विदेशी सस्ते आयात से हो रहे नुकसान से बचाना है।
चीन से सस्ते आयात पर भारत की सख्ती
चीन के ये उत्पाद भारतीय बाजार में अत्यधिक कम कीमत पर बेचे जा रहे थे। इससे भारतीय कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा था क्योंकि वे इतनी कम कीमत पर अपनी वस्तुएं नहीं बेच सकती थीं। DGTR की जांच में यह साफ हुआ कि चीन की ओर से इन वस्तुओं की डंपिंग की जा रही थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इन पर डंपिंग-रोधी शुल्क लगाने का फैसला किया। इससे अब ये उत्पाद भारतीय बाजार में महंगे हो जाएंगे और घरेलू कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में राहत मिलेगी।
क्या होती है डंपिंग और क्यों लगती है Anti-Dumping Duty?
डंपिंग का मतलब है किसी उत्पाद को उसके घरेलू बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर किसी दूसरे देश में बेचना। यह व्यापारिक रणनीति अक्सर किसी देश के उद्योग को नुकसान पहुंचाने के लिए अपनाई जाती है। इससे प्रभावित देश की घरेलू इकाइयों को घाटा होता है, नौकरियों पर असर पड़ता है और कुछ मामलों में उद्योग बंद होने की नौबत तक आ जाती है। ऐसे में Anti Dumping Duty एक हथियार बनता है जिससे घरेलू उत्पादकों को संरक्षण मिलता है।
भारत ने यह शुल्क WTO यानी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के नियमों के तहत लगाया है, जो कहता है कि अगर किसी देश की डंपिंग से किसी अन्य देश की घरेलू कंपनियां प्रभावित होती हैं, तो वह देश उचित कार्रवाई कर सकता है।
किन उत्पादों पर कितने समय के लिए लगा शुल्क?
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) की ओर से जारी अलग-अलग नोटिफिकेशन में बताया गया है कि वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क, सॉफ्ट फेराइट कोर और ट्राइक्लोरो आइसोसायन्यूरिक एसिड पर पांच वर्षों के लिए डंपिंग-रोधी शुल्क लगाया गया है। वहीं एल्युमीनियम फॉयल पर यह शुल्क अस्थायी रूप से लगाया गया है जो छह महीने के लिए मान्य होगा।
यह स्पष्ट किया गया है कि DGTR की जांच के आधार पर सरकार यह तय करती है कि किसी उत्पाद पर डंपिंग हो रही है या नहीं और उससे घरेलू उद्योग को कितना नुकसान हो रहा है।
घरेलू उद्योगों को क्या मिलेगा फायदा?
Anti Dumping Duty लगाने से चीन से आने वाले सस्ते उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे घरेलू उत्पादों को कीमत में प्रतिस्पर्धा का लाभ मिलेगा। भारतीय कंपनियों को अब अपनी कीमतें घटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और वे अपनी उत्पादन लागत के अनुसार उत्पाद बेच सकेंगी। इससे उन्हें न सिर्फ आर्थिक राहत मिलेगी बल्कि उन्हें अपनी तकनीक, गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता सुधारने का भी अवसर मिलेगा।
इसके अलावा, लंबे समय में यह नीति रोजगार को बढ़ावा दे सकती है, क्योंकि जब कंपनियों को नुकसान से राहत मिलती है तो वे उत्पादन बढ़ाती हैं और नई भर्तियों के लिए रास्ता खुलता है।
क्या असर पड़ेगा उपभोक्ताओं पर?
हालांकि, इसका तात्कालिक असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ सकता है क्योंकि जिन उत्पादों पर शुल्क लगाया गया है, वे अब महंगे हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, वैक्यूम फ्लास्क और एल्युमीनियम फॉयल जैसी रोजमर्रा की चीज़ें अब ज्यादा कीमत पर मिल सकती हैं। लेकिन सरकार का मानना है कि यह अल्पकालिक असर होगा और दीर्घकाल में घरेलू उत्पादन बढ़ने से कीमतें स्थिर हो जाएंगी।
सरकार की रणनीति और व्यापार नीति का संकेत
भारत का यह कदम साफ तौर पर एक रणनीतिक व्यापार नीति का हिस्सा है। चीन द्वारा लगातार सस्ते उत्पाद भारत में भेजे जा रहे हैं, जिससे भारतीय कंपनियों का अस्तित्व संकट में आ जाता है। ऐसे में Anti-Dumping Duty एक जरूरी उपाय बन गया है। यह कदम भारत की आत्मनिर्भरता और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों को मजबूती देने वाला है।