
भारतीय सेना (Indian Army) और प्रादेशिक सेना (Territorial Army), दोनों ही सेनाएं देश की सुरक्षा और आपातकालीन परिस्थितियों में अहम भूमिका निभाती हैं। हालांकि दोनों सेनाओं का मकसद देश की सेवा है, लेकिन इनकी भर्ती प्रक्रिया, वेतन संरचना और पेंशन लाभ में स्पष्ट अंतर देखने को मिलता है। अगर आप भी देश सेवा के साथ-साथ एक स्थायी या अंशकालिक सैन्य करियर की योजना बना रहे हैं, तो इन दोनों विकल्पों के बीच अंतर को समझना बेहद जरूरी है।
भर्ती प्रक्रिया में बड़ा अंतर: कौन, कब और कैसे बन सकता है सिपाही या अफसर
Indian Army में भर्ती प्रक्रिया अधिक कठोर और प्रतिस्पर्धात्मक होती है, क्योंकि यह पूर्णकालिक सेवा है। इसमें सामान्य रूप से उम्र सीमा 17.5 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होती है। शैक्षणिक योग्यता पद के अनुसार अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, सैनिक स्तर के लिए कम से कम 10वीं पास होना आवश्यक है। चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षण और चिकित्सा परीक्षण शामिल होते हैं। चयन के बाद सैनिकों को दीर्घकालिक प्रशिक्षण के साथ स्थायी सेवा का अवसर मिलता है।
इसके उलट, Territorial Army में आयु सीमा 18 वर्ष से 42 वर्ष तक होती है। यह सेना मुख्य रूप से उन लोगों के लिए है जो पहले से किसी पेशे में कार्यरत हैं या स्वयं का व्यवसाय कर रहे हैं। इसका उद्देश्य नागरिकों को देश सेवा का अवसर देना है, बिना उनके मौजूदा करियर को बाधित किए। भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और इंटरव्यू होता है। इस सेना की सेवा अंशकालिक होती है, जिसमें हर साल दो महीने का अनिवार्य प्रशिक्षण शामिल होता है।
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वेतन संरचना एक जैसी, पर भुगतान की शर्तें अलग
जहां तक वेतन की बात है, Indian Army और Territorial Army दोनों में लेफ्टिनेंट से लेकर ब्रिगेडियर तक के पदों पर वेतन एक समान होता है। उदाहरण के तौर पर, एक लेफ्टिनेंट को ₹56,100 से ₹1,77,500 तक, जबकि एक ब्रिगेडियर को ₹1,39,600 से ₹2,17,600 तक मासिक वेतन मिलता है।
लेकिन Territorial Army के एक बड़े अंतर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता—यहां वेतन और भत्ते केवल प्रशिक्षण या एक्टिव ड्यूटी के दौरान ही दिए जाते हैं। यानी जब तक कोई अधिकारी ड्यूटी पर नहीं है, तब तक उसे वेतन नहीं मिलेगा। इसके विपरीत, Indian Army के जवानों और अधिकारियों को नियमित मासिक वेतन के साथ-साथ कई अतिरिक्त भत्ते भी दिए जाते हैं, जैसे हाई एल्टीट्यूड भत्ता, राशन भत्ता, यूनिफॉर्म भत्ता आदि।
पेंशन और सेवा लाभों में साफ अंतर
Indian Army में पेंशन की व्यवस्था स्थायी है। अधिकारी वर्ग के लिए 20 वर्ष की सेवा के बाद और अन्य रैंक के लिए 15 वर्ष की सेवा के बाद पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। पेंशन की गणना अंतिम वेतन के 50% के आधार पर की जाती है। इसके अतिरिक्त, पूर्व सैनिकों को ईसीएचएस स्वास्थ्य सुविधा, कैंटीन सेवा, और अन्य रिटायर्ड बेनेफिट्स भी मिलते हैं।
वहीं दूसरी ओर, Territorial Army में पेंशन व्यवस्था थोड़ी जटिल है। यहां पेंशन तभी मिलती है जब अधिकारी ने 20 वर्ष की कुल सेवा (जिसमें ट्रेनिंग और एक्टिव ड्यूटी शामिल है) पूरी की हो। JCO और अन्य रैंक के लिए यह सेवा अवधि 15 वर्ष तय की गई है। पेंशन के अलावा, उन्हें कैंप भत्ता, यूनिफॉर्म भत्ता, और अन्य सीमित लाभ केवल तब मिलते हैं जब वे सेवा में सक्रिय हों।
कौन चुने Indian Army और कौन Territorial Army?
यदि आप एक पूर्णकालिक सैन्य करियर की तलाश कर रहे हैं, जिसमें स्थायित्व, प्रमोशन, पेंशन और सम्मान का पूरा अवसर हो, तो Indian Army आपके लिए बेहतरीन विकल्प है। यहां आप ना सिर्फ देश सेवा करते हैं बल्कि एक संतुलित और सशक्त जीवन शैली भी प्राप्त करते हैं।
दूसरी तरफ, यदि आप नौकरी या व्यवसाय में हैं और साथ-साथ देश सेवा का जज़्बा भी रखते हैं, तो Territorial Army आपके लिए आदर्श हो सकती है। यह विकल्प आपको नागरिक जीवन और सैन्य सेवा के बीच संतुलन बनाए रखने की आज़ादी देता है। खास बात यह है कि इसमें आपको सिविल जॉब के साथ-साथ सेना का अनुभव भी मिलता है, जो कि एक दुर्लभ अवसर है। लिए!