
हिमाचल प्रदेश में बस से यात्रा करने वालों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश सरकार ने आम जनता पर सीधा असर डालते हुए राज्य में न्यूनतम बस किराया ₹5 से बढ़ाकर ₹10 कर दिया है। यह फैसला हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (HRTC) द्वारा लिया गया है, जो राज्य में सार्वजनिक परिवहन की मुख्य एजेंसी है। बढ़ा हुआ किराया तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है, जिससे आम यात्रियों की जेब पर सीधा असर पड़ा है।
किराया दोगुना, लेकिन सुविधा वही: जनता में नाराज़गी
इस फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब सुविधा पहले जैसी ही है, तो Bus Fare में इतनी बड़ी वृद्धि क्यों की गई? लोगों की शिकायत है कि HRTC की बसों में न तो नई सेवाएं जोड़ी गई हैं और न ही समय पर संचालन सुनिश्चित हो पाया है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह फैसला एक बड़ा झटका है, क्योंकि उन्हें हर दिन बस से सफर करना पड़ता है।
सरकार ने क्यों लिया यह फैसला?
राज्य सरकार का कहना है कि HRTC को लगातार घाटा हो रहा था और वर्तमान आर्थिक संकट के चलते इस फैसले को लेना मजबूरी बन गया। पिछले कुछ वर्षों में ईंधन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि, रखरखाव खर्च और कर्मचारियों के वेतन का बोझ बढ़ता गया, जिससे निगम को भारी नुकसान झेलना पड़ा। इसके अलावा, हिमाचल की पहाड़ी भौगोलिक स्थिति के कारण बस संचालन की लागत भी अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है।
HRTC को हर महीने ₹25 करोड़ का नुकसान
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, HRTC को हर महीने औसतन ₹25 करोड़ का घाटा हो रहा है। निगम के पास करीब 3,000 बसों का बेड़ा है, जिसमें अधिकांश बसें पहाड़ी इलाकों में चलती हैं। इन बसों की मेंटेनेंस लागत भी बहुत अधिक है। इसके अलावा, ईंधन और पुर्जों की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में सरकार के पास बस किराया बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था।
क्या केवल न्यूनतम किराया ही बढ़ा है?
फिलहाल सरकार ने केवल न्यूनतम किराए में बदलाव किया है, जो पहले ₹5 था और अब ₹10 कर दिया गया है। लंबी दूरी के किराए में अभी कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन अधिकारियों ने संकेत दिया है कि भविष्य में अन्य श्रेणियों के किराए भी पुनः निर्धारित किए जा सकते हैं। इससे साफ है कि आने वाले समय में बस यात्रा और भी महंगी हो सकती है।
स्कूल और कॉलेज छात्रों पर भी असर
बस किराए में हुई इस बढ़ोतरी का असर स्कूली और कॉलेज जाने वाले छात्रों पर भी पड़ा है। हालांकि सरकार द्वारा कुछ छूट की व्यवस्था की जाती है, लेकिन ज्यादातर छात्र HRTC की साधारण बसों में ही सफर करते हैं। ₹5 से सीधे ₹10 किराया होने से अब उनके मासिक खर्च में सीधी बढ़ोतरी होगी।
एक राहत की बात: पासधारकों को नहीं होगा असर
सरकार ने इस बढ़े हुए किराए से उन यात्रियों को फिलहाल राहत दी है जो मासिक या त्रैमासिक पास बनवाकर यात्रा करते हैं। ऐसे यात्रियों पर यह नया किराया लागू नहीं किया जाएगा, जिससे रोजाना सफर करने वाले कुछ लोगों को राहत मिली है। हालांकि, पास की कीमतों में भी भविष्य में संशोधन हो सकता है।
क्या यह फैसला टिकाऊ साबित होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल न्यूनतम किराया बढ़ाकर HRTC की वित्तीय स्थिति को स्थिर नहीं किया जा सकता। इसके लिए कंपनी को अपनी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लानी होगी, बसों की नियमितता सुनिश्चित करनी होगी और डिजिटल टिकटिंग जैसे आधुनिक उपाय अपनाने होंगे। साथ ही, राज्य सरकार को केंद्र सरकार की Renewable Energy आधारित बस योजनाओं से भी जुड़ना चाहिए, ताकि ईंधन की लागत में कटौती हो सके।
जनता में आक्रोश, लेकिन विकल्प नहीं
कई यात्रियों ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि बिना किसी सुविधा में सुधार किए, सरकार ने सीधा बोझ जनता पर डाल दिया है। लेकिन हकीकत यह भी है कि हिमाचल में सार्वजनिक परिवहन के बहुत कम विकल्प हैं, और निजी वाहन चलाना सभी के लिए संभव नहीं। ऐसे में HRTC की बसों पर ही निर्भरता बनी रहेगी, चाहे किराया कुछ भी हो।