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ChatGPT से बन रहे हैं नकली आधार-पैन कार्ड! बढ़ा फ्रॉड का खतरा, अलर्ट रहें

AI अब सिर्फ चैट नहीं करता, असली जैसे आधार और पैन कार्ड भी बना रहा है! मोदी के नाम पर दस्तावेज़ तैयार होने के बाद मचा हड़कंप, जानिए कैसे आप भी बन सकते हैं ठगी का शिकार और कैसे करें खुद को सुरक्षित।

By Saloni uniyal
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ChatGPT से बन रहे हैं नकली आधार-पैन कार्ड! बढ़ा फ्रॉड का खतरा, अलर्ट रहें
ChatGPT से बन रहे हैं नकली आधार-पैन कार्ड! बढ़ा फ्रॉड का खतरा, अलर्ट रहें

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- Artificial Intelligence (AI) तकनीक का दायरा जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इसके खतरनाक पहलुओं को लेकर भी चिंताएं गहराती जा रही हैं। हाल ही में ChatGPT जैसे एआई मॉडल से जुड़े एक बड़े साइबर सुरक्षा खतरे का खुलासा हुआ है, जिसमें दावा किया गया कि ChatGPT के ज़रिए असली जैसे दिखने वाले Aadhaar Card, PAN Card और Voter ID जैसे सरकारी दस्तावेज़ तैयार किए जा सकते हैं। इस खुलासे के बाद से Cyber Crime और Forgery को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

यह मामला तब सामने आया जब सुरक्षा विशेषज्ञों ने परीक्षण के तौर पर ChatGPT से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर आधार और पैन कार्ड बनाने को कहा, और AI मॉडल ने कुछ ही सेकंड में ऐसे दस्तावेज तैयार कर दिए जो हूबहू असली दस्तावेजों जैसे लगते थे। इससे यह साबित होता है कि AI टूल्स का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा करना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है।

ChatGPT कैसे बना रहा है नकली दस्तावेज़?

ChatGPT एक भाषा आधारित एआई मॉडल है जो टेक्स्ट इनपुट के आधार पर उत्तर देता है। लेकिन हाल ही में इसमें ऐसी क्षमताएं देखी गई हैं जो इसे केवल टेक्स्ट तक सीमित नहीं रखतीं। यह मॉडल अब ऐसे कोड और डिज़ाइन तैयार कर सकता है जिससे Photoshop या अन्य Editing Software की मदद से पूरी तरह से वास्तविक दिखने वाले Aadhaar और PAN Card बनाए जा सकते हैं।

विशेषज्ञों ने बताया कि ChatGPT को यदि ठीक से निर्देश दिया जाए, तो वह UIDAI की वेबसाइट पर दिखने वाले आधार कार्ड के फॉर्मेट की हूबहू कॉपी तैयार कर सकता है। इसमें नाम, जन्मतिथि, जेंडर, पता और यहां तक कि QR कोड जैसी बारीक डिटेल्स भी शामिल होती हैं। यही हाल पैन कार्ड और वोटर आईडी का भी है।

क्यों बढ़ रही है Forgery और Cyber Fraud की आशंका

AI मॉडल्स की यह क्षमता सीधे तौर पर साइबर क्राइम को बढ़ावा दे सकती है। यदि कोई अपराधी ChatGPT का गलत इस्तेमाल करे, तो वह दूसरों के नाम से फर्जी दस्तावेज़ तैयार करके बैंक खाता खोल सकता है, सिम कार्ड ले सकता है या सरकारी योजनाओं का गलत फायदा उठा सकता है।

इसके अलावा IPO, Mutual Funds और अन्य Financial Services में भी यह खतरा गहराता जा रहा है। KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया में फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए निवेशकों को ठगने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन अब AI की वजह से यह काम और भी आसान हो गया है।

सरकार और एजेंसियों की बढ़ती चिंता

इस घटना के सामने आने के बाद सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) की निगरानी इकाई NTCPWC ने इस विषय में चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि एआई आधारित फर्जीवाड़ा रोकने के लिए नए नियमों और तकनीकी सुरक्षा उपायों की ज़रूरत है।

NITI Aayog और CERT-In जैसे संस्थान भी इस विषय पर नजर बनाए हुए हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में AI Tool जैसे ChatGPT के इस्तेमाल को नियंत्रित करने के लिए भारत को कड़े Cybersecurity और Privacy कानूनों की ज़रूरत होगी।

ChatGPT और OpenAI की प्रतिक्रिया

OpenAI, जो कि ChatGPT का निर्माणकर्ता है, उसने पहले ही अपने Terms of Use में स्पष्ट कर दिया है कि इसके मॉडल्स का उपयोग किसी भी अवैध कार्य, फर्जीवाड़ा या सरकारी दस्तावेज़ों की नकल के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

लेकिन समस्या यह है कि यह एक ओपन-सोर्स टूल है, जिसे दुनिया भर के लाखों लोग एक्सेस कर सकते हैं। कुछ हैकर्स या साइबर अपराधी इसके पीछे की तकनीक को मॉडिफाई करके इसका दुरुपयोग कर सकते हैं।

आम नागरिकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह बेहद ज़रूरी हो गया है कि आम लोग भी साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक हों। किसी भी अनजानी वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर अपने Aadhaar, PAN या अन्य निजी जानकारी शेयर न करें।

यदि किसी व्यक्ति को संदेह हो कि उसके नाम पर कोई फर्जी दस्तावेज़ बनाया गया है या उसका दुरुपयोग हो रहा है, तो तुरंत UIDAI, इनकम टैक्स विभाग या स्थानीय साइबर सेल से संपर्क करें।

साथ ही, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस जैसे IPO, Mutual Funds, बैंक अकाउंट ओपनिंग आदि में केवल अधिकृत और वेरिफाइड प्लेटफॉर्म का ही इस्तेमाल करें।

AI टेक्नोलॉजी की निगरानी अब अनिवार्य

AI टूल्स की बढ़ती पहुंच और क्षमताओं को देखते हुए अब यह ज़रूरी हो गया है कि इनके विकास और इस्तेमाल पर निगरानी रखी जाए। जिस तरह से Renewable Energy और Electric Vehicles के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाए जा रहे हैं, उसी तरह AI के लिए भी सख्त गाइडलाइंस और मॉनिटरिंग सिस्टम की जरूरत है।

AI का विकास यदि बिना निगरानी के होता रहा, तो भविष्य में इससे जुड़ी फेक न्यूज, फर्जी दस्तावेज़, और डिजिटल ठगी के मामले और अधिक बढ़ सकते हैं।

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