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अब नहीं देना होगा सर्विस चार्ज! दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा झटका होटल-रेस्टोरेंट्स को

अगर आप भी होटल में खाने के बाद जबरन सर्विस चार्ज चुकाते थे, तो अब जानिए कैसे यह नया नियम आपके पैसे बचाएगा और आपके उपभोक्ता अधिकारों को देगा नई ताकत!

By Saloni uniyal
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अब नहीं देना होगा सर्विस चार्ज! दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा झटका होटल-रेस्टोरेंट्स को
अब नहीं देना होगा सर्विस चार्ज! दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा झटका होटल-रेस्टोरेंट्स को

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि होटल और रेस्टोरेंट अब ग्राहकों से अनिवार्य रूप से सर्विस चार्ज (Service Charge) वसूल नहीं कर सकते। यह फैसला उन उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो लंबे समय से बिल में स्वचालित रूप से जोड़े जाने वाले सर्विस चार्ज से परेशान थे। अदालत का यह निर्णय केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से वैध ठहराते हुए आया है, जिसमें उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता दी गई है।

अदालत का स्पष्ट रुख: सेवा शुल्क पूरी तरह स्वैच्छिक

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सर्विस चार्ज का भुगतान ग्राहक की मर्जी पर निर्भर करेगा, न कि किसी होटल या रेस्टोरेंट की नीति पर। अदालत ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जो सीसीपीए द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को चुनौती देने के लिए दायर की गई थीं। यह स्पष्ट करते हुए कि सेवा प्रदाताओं को बिल में स्वचालित रूप से यह शुल्क जोड़ने का अधिकार नहीं है, अदालत ने कहा कि कोई भी प्रतिष्ठान ग्राहक को सेवा शुल्क चुकाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता

सीसीपीए के दिशा-निर्देशों को अदालत की मान्यता

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने जुलाई 2022 में दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें कहा गया था कि सर्विस चार्ज को अनिवार्य बनाना उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है। इसके तहत उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया गया था कि वे यदि चाहें तो सर्विस चार्ज का भुगतान करें, अन्यथा नहीं। इन दिशा-निर्देशों को लेकर होटल और रेस्टोरेंट संगठनों ने आपत्ति जताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं कि सीसीपीए को ऐसे दिशा-निर्देश जारी करने का पूरा अधिकार है और यह कानूनी रूप से वैध हैं

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उपभोक्ता अधिकारों को मिली नई ताकत

यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों (Consumer Rights) की रक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब ग्राहक को यह स्वतंत्रता मिल गई है कि वह किसी सेवा से संतुष्ट होने पर ही सर्विस चार्ज का भुगतान करें, अन्यथा उसे मना कर सकते हैं। इससे बिल में छिपे अतिरिक्त शुल्कों से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और होटल या रेस्टोरेंट उन पर दबाव नहीं बना सकेंगे।

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

होटल और रेस्टोरेंट संगठनों ने इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कई प्रतिष्ठानों का मानना है कि यह निर्णय सेवा प्रदाताओं के राजस्व पर असर डाल सकता है, जबकि उपभोक्ता संगठनों ने इसका स्वागत करते हुए कहा है कि यह लंबे समय से प्रतीक्षित सुधार था। सेवा क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञों ने भी कहा कि अब व्यवसायों को ग्राहक संतुष्टि और गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना होगा, क्योंकि अब सर्विस चार्ज प्राप्त करने के लिए मजबूरी नहीं, बल्कि सेवा की गुणवत्ता प्रमुख होगी।

डिजिटल भुगतान और रसीदों पर भी पड़ेगा असर

इस फैसले के बाद डिजिटल पेमेंट ऐप्स और बिल जनरेटिंग सिस्टम में भी बदलाव आने की संभावना है। अब रेस्टोरेंट और होटल को अपने बिल सिस्टम में सर्विस चार्ज को वैकल्पिक बनाना होगा। यदि कोई ग्राहक सहमत नहीं है, तो बिल से सर्विस चार्ज को हटाया जा सकेगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

आगे क्या?

यह फैसला आने के बाद केंद्र सरकार और सीसीपीए अब इसके व्यापक प्रचार-प्रसार की योजना बना सकते हैं ताकि ग्राहकों को उनके अधिकारों की जानकारी दी जा सके। साथ ही होटल और रेस्टोरेंट मालिकों को नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप अपने संचालन में बदलाव करना होगा। यदि कोई प्रतिष्ठान इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

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