
गूगल (Google) की प्ले स्टोर नीतियों को लेकर चल रहे लंबे विवाद में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने एक बड़ा निर्णय सुनाया है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए ₹936.44 करोड़ के जुर्माने को घटाकर ₹216.69 करोड़ कर दिया गया है, लेकिन इसके साथ ही यह स्पष्ट कर दिया गया है कि गूगल ने बाज़ार में अपनी प्रमुख स्थिति का अनुचित लाभ उठाया और प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन किया है।
गूगल की प्ले स्टोर नीतियों पर लगा था भारी जुर्माना
CCI ने 25 अक्टूबर 2022 को गूगल पर अपने प्ले स्टोर की नीतियों के जरिए बाज़ार में वर्चस्व कायम रखने और डेवलपर्स पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए ₹936.44 करोड़ का जुर्माना लगाया था। गूगल ने इस आदेश को NCLAT में चुनौती दी, जिसके बाद इस मामले में सुनवाई हुई। हालांकि जुर्माने की राशि में कटौती कर दी गई है, लेकिन NCLAT ने CCI के आदेश को मूल रूप में बरकरार रखा है।
NCLAT ने क्या कहा अपने फैसले में
104 पन्नों के फैसले में NCLAT की चेयरमैन जस्टिस अशोक भूषण और तकनीकी सदस्य बरुण मित्रा की पीठ ने माना कि गूगल ने अपनी ताकत का दुरुपयोग किया है। ट्राइब्यूनल ने कहा कि गूगल का व्यवहार प्रतिस्पर्धा कानून के खिलाफ है। हालांकि, कुछ आरोपों को लेकर अभी पूर्ण प्रमाण नहीं मिले हैं और यदि भविष्य में ये साबित होते हैं तो जुर्माने की राशि फिर से बढ़ाई जा सकती है।
30 दिन में जमा करनी होगी बाकी राशि
NCLAT ने आदेश दिया है कि गूगल पहले ही अपील प्रक्रिया के दौरान कुल जुर्माने का 10% जमा कर चुका है, अब उसे शेष ₹216.69 करोड़ की राशि अगले 30 दिनों के भीतर जमा करनी होगी। यह जुर्माना गूगल के पिछले तीन वर्षों के कारोबार को आधार बनाकर तय किया गया है। अब देखना यह होगा कि क्या गूगल इस फैसले को स्वीकार करता है या फिर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देता है।
गूगल की याचिका पर रोक नहीं
गूगल ने NCLAT से अनुरोध किया था कि वह CCI के आदेश पर रोक लगाए, जिसमें उसे प्ले स्टोर की अपमानजनक नीतियों को बंद करने और जुर्माना चुकाने को कहा गया था। लेकिन ट्राइब्यूनल ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया, जिससे यह साफ हो गया कि गूगल को अब भारत में अपने बिजनेस मॉडल में कुछ मूलभूत बदलाव करने होंगे।
डेवलपर्स के लिए क्या बदलेगा?
इस निर्णय के बाद ऐप डेवलपर्स को कुछ बड़ी राहतें मिलेंगी। अब वे थर्ड पार्टी की बिलिंग और पेमेंट सेवाओं का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होंगे, जो पहले गूगल द्वारा प्रतिबंधित था। साथ ही गूगल अब डेवलपर्स पर एंटी-स्टीयरिंग नियम नहीं थोप सकेगा, जिससे वे अपने ऐप्स को प्रमोट करने और अपनी शर्तों पर काम करने के लिए ज्यादा स्वतंत्र होंगे।
गूगल अब यूपीआई (UPI) भुगतान सेवाओं में भी किसी विशेष ऐप को प्राथमिकता नहीं दे सकेगा, जिससे प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।