
प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PM Awas Yojana-Urban) या PMAY-U 2.0 सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका मकसद हर भारतीय को खुद का घर मुहैया कराना है। केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत पहली बार घर खरीदने वालों को होम लोन पर ब्याज सब्सिडी दी जाती है। यह स्कीम खास तौर पर उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो लंबे समय से घर का सपना देख रहे हैं लेकिन आर्थिक कारणों से उसे पूरा नहीं कर पा रहे।
ब्याज सब्सिडी योजना (Interest Subsidy Scheme) की विशेषताएं
PMAY-U 2.0 के तहत, पात्र लाभार्थियों को होम लोन पर ब्याज में विशेष सब्सिडी दी जाती है। यह सुविधा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), निम्न आय वर्ग (LIG) और मध्यम आय वर्ग (MIG) के लोगों के लिए उपलब्ध है। इस योजना के अंतर्गत ₹35 लाख तक के मकान पर ₹25 लाख तक के होम लोन के लिए सब्सिडी का लाभ लिया जा सकता है।
सबसे खास बात यह है कि लोन की पहली ₹8 लाख राशि पर 4% ब्याज सब्सिडी दी जाती है, जिसकी गणना 12 वर्ष की लोन अवधि के आधार पर होती है। यह सब्सिडी कुल ₹1.80 लाख तक हो सकती है, जिसे पांच वार्षिक किश्तों में सीधे लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर किया जाता है। लाभार्थी इस सब्सिडी की स्थिति को वेबसाइट, ओटीपी अथवा स्मार्ट कार्ड के माध्यम से ट्रैक कर सकते हैं।
कौन ले सकता है इस योजना का लाभ
PM Awas Yojana-Urban का लाभ लेने के लिए कुछ पात्रता मानदंड तय किए गए हैं। यह योजना सिर्फ उन परिवारों के लिए है जिनके पास पहले से भारत में कहीं भी पक्का मकान नहीं है। साथ ही, उनकी वार्षिक पारिवारिक आय इस प्रकार होनी चाहिए:
- EWS (Economically Weaker Section): ₹3 लाख तक की वार्षिक आय
- LIG (Low Income Group): ₹3 लाख से ₹6 लाख तक की वार्षिक आय
- MIG (Middle Income Group): ₹6 लाख से ₹9 लाख तक की वार्षिक आय
इन तीनों कैटेगरी के लोगों को उनकी आय के अनुसार योजना के तहत ब्याज सब्सिडी का लाभ मिलता है।
PMAY-U 2.0 के चार मुख्य घटक
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत लाभार्थियों की जरूरत और पात्रता के आधार पर योजना को चार प्रमुख घटकों में विभाजित किया गया है:
(i) लाभार्थी आधारित निर्माण (Beneficiary Led Construction – BLC)
(ii) भागीदारी में किफायती आवास (Affordable Housing in Partnership – AHP)
(iii) किफायती किराये के आवास (Affordable Rental Housing – ARH)
(iv) ब्याज सब्सिडी योजना (Interest Subsidy Scheme – ISS)
इनमें से BLC, AHP और ARH को केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया गया है, जबकि ISS को केंद्रीय क्षेत्र योजना माना गया है। लाभार्थी इन चारों में से अपनी पात्रता और ज़रूरत के अनुसार किसी भी घटक को चुन सकते हैं।