
Surya Grahan 2025: साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) 29 मार्च, शनिवार को लगेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और हिंदू पंचांग के अनुसार संवत 2081 के आखिरी दिन घटित होगा। खगोल विज्ञान के अनुसार यह सूर्य ग्रहण दोपहर 2:20 बजे से शुरू होकर शाम 6:16 बजे तक रहेगा। कुल मिलाकर यह ग्रहण लगभग 3 घंटे 56 मिनट तक चलेगा। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल (Sutak Kaal) मान्य नहीं होगा।
ग्रहण का प्रभाव और राशियों पर विशेष असर
इस सूर्य ग्रहण का खगोलीय प्रभाव भले ही देश में दृष्टिगोचर न हो, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका असर राशियों (Zodiac Signs) पर अवश्य पड़ेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार यह सूर्य ग्रहण मीन राशि में लग रहा है, इसलिए इसका सीधा असर कुंभ (Aquarius), मीन (Pisces), और मेष (Aries) राशि वालों पर पड़ेगा। इन राशियों के जातकों को जीवन में नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
नकारात्मक प्रभाव: स्वास्थ्य, संबंध और धन की हानि
इस सूर्य ग्रहण के कारण इन तीन राशियों के जातकों को स्वास्थ्य समस्याएं, विशेषकर चर्म रोग (Skin Diseases) और अन्य शारीरिक विकार झेलने पड़ सकते हैं। साथ ही मान-सम्मान में गिरावट, धन हानि (Financial Loss), और संबंधों में तनाव की भी संभावना बन सकती है। कार्यक्षेत्र में भी रुकावटें, बनते कार्यों का विफल होना, तथा अनावश्यक खर्च बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
क्यों नहीं मान्य होगा सूतक काल?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कोई ग्रहण किसी स्थान पर दृश्य होता है तभी उसका सूतक काल मान्य होता है। चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इस बार सूतक काल का पालन अनिवार्य नहीं होगा। फिर भी जिन राशियों पर इसका प्रभाव नकारात्मक है, उन्हें सावधानीपूर्वक उपायों को अपनाना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के दौरान करें ये उपाय
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान इन तीन राशियों के जातकों को किसी एकांत स्थान पर बैठकर सूर्य देव (Sun God) का ध्यान करना चाहिए। इस दौरान आदित्य हृदय स्तोत्र (Aditya Hriday Stotra), सूर्य मंत्र, या गायत्री मंत्र का जाप विशेष लाभकारी रहेगा। इसके अलावा घर में खाद्य सामग्री में गंगाजल, तुलसी और कुशा डालने से उसकी पवित्रता बनी रहती है।
ग्रहण काल में धार्मिक भाव से साधना जरूरी
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल में की गई पूजा, ध्यान, जप और तप सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फलदायी मानी जाती है। विशेष रूप से जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर है या जिनका साढ़ेसाती या ढैया चल रहा है, उन्हें ग्रहण काल में धार्मिक गतिविधियों को बढ़ाना चाहिए।
राशियों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह
कुंभ, मीन और मेष राशि वालों को इस समय मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए और किसी भी प्रकार के बड़े निवेश, रिश्तों में कठोर निर्णय, या स्वास्थ्य से जुड़ी लापरवाही से बचना चाहिए। ज्योतिषाचार्य का सुझाव है कि इन राशियों के जातक ग्रहण काल के बाद अपने इष्ट देवता को अर्पित जल, फूल और दीप से पूजन करें, जिससे उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से राहत मिल सके।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण का महत्व
हालांकि यह सूर्य ग्रहण देश में अदृश्य रहेगा, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह समय आत्मचिंतन, प्रायश्चित, और ध्यान का है। ग्रहण काल वह समय होता है जब ब्रह्मांडीय शक्तियां सक्रिय होती हैं और आत्मा की चेतना के लिए विशेष अवसर प्रदान करती हैं।