
Bihar Bullet Train परियोजना को लेकर गया जिले में तैयारियां तेज हो गई हैं। मेट्रो सर्वे कार्य के बाद अब बुलेट ट्रेन को लेकर ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा बिहार के जिन इलाकों में बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी, उनमें गया जिले के छह प्रखंडों के 43 गांव शामिल हैं। इन गांवों में ज़मीन सर्वे का कार्य दो साल पहले ही पूरा कर लिया गया था, लेकिन मुआवजे को लेकर अभी भी विवाद बना हुआ है।
गया जिले के किन गांवों से गुजरेगी बुलेट ट्रेन
गया के छह प्रखंडों के जिन 43 गांवों से बुलेट ट्रेन का मार्ग गुजरेगा, उनमें टनकुप्पा, मानपुर, खिजरसराय, फतेहपुर, बोधगया और डोभी प्रमुख हैं। इन प्रखंडों के अंतर्गत दरजियाचक, ढीवर, इचौई, सदाबहा, शिला, अकुंरहवा, बरसौना, विलंदपुर, अमरी, बारा, बरेव, बैजलेट, दुमैला, बारागंधार, गेरे, ईग्ना, लखनपुर, मंझौली, नौधरिया, रसलपुर, सोहैबपुर, बाना, बीजोपुर, लालगंज, लोदीपुर, मकसूदपुर, मोकामचक, नमरियावां, नौडीहा, रौनिया, डुमरीचट्टी, जयपुर, जम्हेता, कठौतिया, खिरा, मनहोना, पहाड़पुर, रातोखुर्द, लोहाचकरी और मनुहरी जैसे गांव शामिल हैं।
जिला प्रशासन को NHSRCL द्वारा इन गांवों की खाता-खेसरा सूची उपलब्ध कराई गई है, जिसकी जांच-पड़ताल का कार्य जारी है।
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जमीन अधिग्रहण पर किसानों का विरोध
दो साल पहले इन गांवों में सर्वे टीम आई थी और किसानों को अपने कागजात दुरुस्त करने को कहा गया था। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। मुआवजे के रूप में सरकार ने 2 लाख रुपए प्रति कट्ठा देने की घोषणा की है, लेकिन किसानों का कहना है कि यह रकम अपर्याप्त है। उनका कहना है कि चूंकि बुलेट ट्रेन से उन्हें कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं होगा और केवल ज़मीन का नुकसान होगा, इसलिए मुआवजा कम से कम 6 लाख रुपए प्रति कट्ठा होना चाहिए।
मानपुर प्रखंड के बरेव गांव के एक किसान ने कहा कि दो साल बीत जाने के बावजूद मुआवजे या पुनर्वास को लेकर सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। किसान इस बात को लेकर खासे नाराज़ हैं कि उनकी ज़मीन ली जाएगी लेकिन इसके बदले उन्हें वाजिब मुआवजा नहीं मिल रहा।
खाता-खेसरा की जांच के बाद दूसरा चरण शुरू होगा
गया के एडीएम परितोष कुमार ने बताया कि रेलवे द्वारा भेजी गई खाता-खेसरा सूची में सरकारी और गैर सरकारी ज़मीनों की पहचान की जा रही है। इसके आधार पर ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक जिन किसानों की ज़मीन अधिग्रहण में आएगी, उन्हें तयशुदा मुआवजा मिलेगा। फिलहाल खाता-खेसरा की जांच का काम प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है, जिसके बाद बुलेट ट्रेन के लिए अगला चरण शुरू होगा।
वाराणसी-पटना-हावड़ा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का हिस्सा है यह प्रोजेक्ट
गया जिले से गुजरने वाली यह बुलेट ट्रेन वाराणसी-पटना-हावड़ा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 799.293 किलोमीटर होगी। इस हाई स्पीड प्रोजेक्ट के तहत बिहार के पांच जिलों में 260 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड ट्रैक तैयार किया जाएगा।
यह प्रोजेक्ट दो फेज में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में वाराणसी से डीडीयू, आरा, बक्सर, पटना और गया होते हुए हावड़ा तक बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। वहीं, दूसरे चरण में दिल्ली से वाराणसी तक का निर्माण किया जाएगा।
बुलेट ट्रेन की गति और सुविधाएं
यह बुलेट ट्रेन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी और इसकी गति 350 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। इसके चालू हो जाने के बाद वाराणसी से हावड़ा की दूरी केवल साढ़े तीन से चार घंटे में तय की जा सकेगी। यह देश की सबसे तेज़ ट्रेनों में से एक होगी और इससे यात्रा का अनुभव भी पूरी तरह बदल जाएगा।
किसानों की मांग और सरकारी नीति में टकराव
इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार और किसानों के बीच एक बड़ा टकराव उभरता दिख रहा है। जहां एक ओर केंद्र सरकार इसे देश के विकास के लिए एक बड़ी छलांग मान रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय किसान इसे अपनी ज़मीन के नुकसान के रूप में देख रहे हैं। किसानों की मांगें बढ़ते समय और ज़रूरतों के लिहाज़ से जायज़ प्रतीत होती हैं, लेकिन सरकार द्वारा घोषित मुआवजा काफी कम बताया जा रहा है।