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UK में भारतीय छात्रों को क्यों नहीं मिल रही नौकरी? वायरल हुआ ब्रिटिश प्रोफेसर का खुलासा

एक ब्रिटिश लेक्चरर की Reddit पोस्ट ने किया बड़ा खुलासा पढ़ाई की बजाय पैसे कमाने में लगे भारतीय छात्र, स्किल्स और कॉन्फिडेंस की भारी कमी, जानिए UK में जॉब न मिलने के असली कारण, जिससे आप भी सीख सकते हैं बहुत कुछ।

By Saloni uniyal
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UK में भारतीय छात्रों को क्यों नहीं मिल रही नौकरी? वायरल हुआ ब्रिटिश प्रोफेसर का खुलासा
UK में भारतीय छात्रों को क्यों नहीं मिल रही नौकरी? वायरल हुआ ब्रिटिश प्रोफेसर का खुलासा

ब्रिटेन (UK) में भारतीय छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी (Job) न मिलने के पीछे आखिर वजह क्या है? इस पर एक ब्रिटिश लेक्चरर (British Lecturer) की टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छेड़ दी है। रीडिट (Reddit) पर साझा की गई इस लंबी पोस्ट में लेक्चरर ने साफ-साफ कहा है कि भारतीय छात्र केवल वीजा और जॉब की चाह में आते हैं, लेकिन पढ़ाई और स्किल डेवेलपमेंट पर ध्यान नहीं देते।

Reddit पर पोस्ट ने खोली सच्चाई

यह पोस्ट ‘@adamsan99’ नामक रीडिट हैंडल से साझा की गई थी, जिसमें लेखक ने खुद को एक ब्रिटिश यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला लेक्चरर बताया है। उन्होंने बताया कि वे जिस यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं, वहां करीब 80 फीसदी छात्र भारत (India) से हैं। अधिकांश भारतीय छात्र यहां एक साल की मास्टर डिग्री (master’s degree) के लिए आते हैं, ताकि पोस्ट स्टडी वर्क वीजा पर रुककर नौकरी पा सकें और भविष्य में यूके में सेटल हो सकें।

लेक्चरर के अनुसार, यह अपने आप में एक अच्छा अवसर है, लेकिन भारतीय छात्रों की प्राथमिकता ही इसे विफल कर देती है। उनका फोकस पढ़ाई के बजाय पार्ट टाइम नौकरी (Part-Time Job) करने पर होता है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है।

पढ़ाई की बजाय पैसे कमाने की होड़

लेक्चरर का मानना है कि बहुत से इंडियन स्टूडेंट्स अपने खर्चों को पूरा करने में इतने उलझ जाते हैं कि वे जिस उद्देश्य से आए थे, यानी पढ़ाई और प्रोफेशनल स्किल्स का विकास, उसे ही नजरअंदाज कर देते हैं। यूके की जॉब मार्केट (UK Job Market) में टिके रहने के लिए केवल डिग्री (Degree) ही काफी नहीं है। यहां स्किल, नॉलेज, कम्युनिकेशन स्किल्स (Communication Skills), कॉन्फिडेंस और एक स्ट्रॉन्ग प्रोफेशनल पोर्टफोलियो की आवश्यकता होती है।

लेक्चरर ने लिखा, “एक एम्प्लॉयर ऐसे किसी व्यक्ति को क्यों हायर करेगा, जो अपनी बात ढंग से नहीं रख सकता, जिसकी थिंकिंग क्रिटिकल नहीं है और जो टीम में भी एक्टिव नहीं है?”

कम्युनिकेशन और कॉन्फिडेंस की कमी

लेक्चरर ने यह भी लिखा कि उन्होंने अधिकतर भारतीय छात्रों में आत्मविश्वास की कमी देखी है। वे कक्षा में बातचीत करने से कतराते हैं, सवाल पूछने से डरते हैं और ग्रुप प्रेजेंटेशन में भी पीछे रहते हैं। वहीं, यूके की जॉब मार्केट में नियोक्ता ऐसे लोगों की तलाश में रहते हैं जो कम्युनिकेटिव, कॉन्फिडेंट और प्रोएक्टिव हों।

उनके अनुसार, इंडियन स्टूडेंट्स के पास टेक्निकल स्किल्स हो सकती हैं, लेकिन वे खुद को सही तरीके से प्रेजेंट नहीं कर पाते। यह एक बड़ी वजह है कि डिग्री होने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं मिलती।

प्रोफेशनल रवैये की भी कमी

लेक्चरर ने यह भी बताया कि उनके अनुभव के अनुसार, भारतीय छात्र पढ़ाई के प्रति गंभीर नहीं होते। उन्होंने कहा, “मैं पहले सोचता था कि इंडियन स्टूडेंट्स इंटेलिजेंट और हार्ड वर्किंग होते हैं। लेकिन पढ़ाने के बाद मेरी धारणा बदल गई। वे क्लास अटेंडेंस से ज्यादा काम करने में रुचि रखते हैं। उनका उद्देश्य स्किल डेवेलपमेंट नहीं, बल्कि पैसे कमाना होता है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि ब्रिटेन में कोई भी एम्प्लॉयर तब तक जॉब नहीं देता, जब तक कैंडिडेट में प्रोफेशनलिज्म, आत्मविश्वास, कम्युनिकेशन और क्रिटिकल थिंकिंग न हो।

भविष्य के लिए सबक

इस पोस्ट के सामने आने के बाद कई यूजर्स ने सहमति जताई, तो कई ने लेक्चरर की आलोचना भी की। लेकिन हकीकत यही है कि आज की ग्लोबल जॉब मार्केट में सिर्फ डिग्री से कुछ नहीं होता। चाहे वह टेक्नोलॉजी (Technology) की फील्ड हो या फाइनेंस (Finance), या फिर Renewable Energy जैसे नए क्षेत्रों में करियर बनाना हो — हर जगह प्रोफेशनलिज्म और स्किल्स की मांग है।

यूके में पढ़ाई कर रहे या करने की योजना बना रहे भारतीय छात्रों को यह समझना होगा कि केवल वीजा और डिग्री से नौकरी नहीं मिलेगी। उन्हें खुद को हर पहलू से मजबूत बनाना होगा — कम्युनिकेशन, प्रेजेंटेशन, लीडरशिप, और इंडस्ट्री-ओरिएंटेड स्किल्स के साथ।

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