
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (Unified Payments Interface-UPI) का इस्तेमाल करने वाले करोड़ों भारतीय यूजर्स के लिए एक बड़ी खबर है। 1 अप्रैल 2025 से UPI सिस्टम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इस संबंध में नई गाइडलाइन जारी की है, जिसे सभी बैंकों और UPI ऐप्स को अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। NPCI के अनुसार, यह कदम डिजिटल पेमेंट सिस्टम को ज्यादा सुरक्षित (Secure) और यूजर्स के लिए भरोसेमंद (Reliable) बनाने के लिए उठाया गया है।
हर हफ्ते अपडेट होंगे UPI मोबाइल नंबर
NPCI द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक, अब बैंकों और UPI सर्विस प्रोवाइडर्स को यूजर्स के मोबाइल नंबर की जानकारी हर हफ्ते अपडेट करनी होगी। यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि अक्सर मोबाइल नंबर बदले जाने या नए ग्राहकों को पुराने नंबर रीसाइकल करके दिए जाने के कारण UPI ट्रांजैक्शन में बड़ी गड़बड़ियां देखने को मिलती हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी यूजर ने अपना पुराना नंबर बंद कर दिया और वह नंबर किसी नए व्यक्ति को मिल गया, तो उस नंबर से जुड़ी पुरानी UPI ID सक्रिय रह सकती है, जिससे पैसे गलत खाते में ट्रांसफर हो सकते हैं।
मोबाइल नंबर रीसाइक्लिंग बन रही है बड़ी चुनौती
भारत में टेलीकॉम विभाग (DoT) के नियमों के अनुसार, यदि कोई मोबाइल नंबर 90 दिनों तक निष्क्रिय (Inactive) रहता है, तो वह किसी अन्य ग्राहक को अलॉट किया जा सकता है। इसे ही मोबाइल नंबर रीसाइक्लिंग (Mobile Number Recycling) कहा जाता है। ऐसे मामलों में जब नया यूजर उसी नंबर पर सिम एक्टिवेट करता है, तो UPI सिस्टम में मौजूद पुरानी जानकारी से ट्रांजैक्शन में गड़बड़ी हो सकती है। NPCI ने इस चुनौती को पहचानते हुए बैंकों और ऐप्स को साप्ताहिक आधार पर डेटा अपडेट करने का निर्देश दिया है, ताकि इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।
UPI ID असाइन करने से पहले लेनी होगी यूजर की स्पष्ट अनुमति
नई गाइडलाइन में एक और बड़ा बदलाव यह है कि अब किसी भी यूजर को UPI ID असाइन करने से पहले उसकी स्पष्ट अनुमति (Explicit Consent) लेना अनिवार्य होगा। अब तक कई बार ऐसा देखा गया है कि जैसे ही कोई नया ऐप डाउनलोड करता है, उसके मोबाइल नंबर से संबंधित UPI ID बिना उसकी जानकारी के क्रिएट हो जाती है। इससे यूजर्स को भ्रम और सुरक्षा संबंधी समस्याएं होती हैं। NPCI ने स्पष्ट किया है कि बिना यूजर की सहमति के अब कोई भी ID जनरेट नहीं की जाएगी।
1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे नए नियम
NPCI ने सभी बैंकों और UPI ऐप्स को 31 मार्च 2025 तक की समयसीमा दी है ताकि वे इन नए नियमों के अनुसार अपनी टेक्नोलॉजी और प्रक्रिया को अपडेट कर सकें। 1 अप्रैल 2025 से ये नियम प्रभावी रूप से लागू हो जाएंगे और हर सर्विस प्रोवाइडर को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इन गाइडलाइंस का पूरा पालन कर रहे हैं।
हर महीने देनी होगी रिपोर्ट
नए नियमों के तहत सिर्फ मोबाइल नंबर अपडेट करना ही नहीं, बल्कि बैंकों और ऐप्स को हर महीने एक रिपोर्ट भी NPCI को सौंपनी होगी। इस रिपोर्ट में उन्हें यह बताना होगा कि उन्होंने UPI ID को मैनेज करने और गलत ट्रांजैक्शन रोकने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं। NPCI इन रिपोर्ट्स की समीक्षा कर यह तय करेगा कि कौन-सा बैंक या ऐप नियमों का सही से पालन कर रहा है और कौन नहीं।
UPI ट्रांजैक्शन को और अधिक सुरक्षित बनाने की कोशिश
NPCI के इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य UPI ट्रांजैक्शन को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और यूजर-फ्रेंडली बनाना है। भारत में डिजिटल पेमेंट्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, और ऐसे में NPCI का यह कदम तकनीकी रूप से एक बड़ा सुधार माना जा रहा है। मोबाइल नंबर आधारित पहचान प्रणाली में पारदर्शिता लाकर गलत ट्रांजैक्शन, फ्रॉड और मिस-डायरेक्टेड पेमेंट जैसी समस्याओं पर लगाम लगाने की योजना बनाई गई है।
डिजिटल भुगतान में आएगा और भरोसा
UPI भारत के सबसे तेज़, सरल और भरोसेमंद पेमेंट सिस्टम्स में से एक बन चुका है। लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह मोबाइल नंबर की रीसाइक्लिंग और पुराने डेटा की वजह से गलत ट्रांजैक्शन की घटनाएं सामने आई हैं, उसने NPCI को इस दिशा में कठोर कदम उठाने पर मजबूर किया। नई गाइडलाइन का पालन करने से न केवल बैंकों की जवाबदेही बढ़ेगी बल्कि आम यूजर को भी अपने लेन-देन में अधिक विश्वास मिलेगा।