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संविदा कर्मियों को राहत मिलेगी? नियमितीकरण पर सरकार का बड़ा बयान आया सदन में

मध्यप्रदेश विधानसभा में पेश रिपोर्ट ने खोले सरकारी तंत्र की हकीकत के पन्ने! 9 लाख स्वीकृत पद, लेकिन सिर्फ 6 लाख कर्मचारी, 2.37 लाख संविदा कर्मियों की नजरें अब सरकार की नई भर्ती प्रक्रिया पर क्या मिलेगी पक्की नौकरी की सौगात? जानिए पूरी खबर, आंकड़े और सरकार की मंशा।

By Saloni uniyal
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संविदा कर्मियों को राहत मिलेगी? नियमितीकरण पर सरकार का बड़ा बयान आया सदन में
संविदा कर्मियों को राहत मिलेगी? नियमितीकरण पर सरकार का बड़ा बयान आया सदन में

Contract Employees Regularization Latest News को लेकर एक बार फिर मध्यप्रदेश की विधानसभा में गूंज सुनाई दी है। प्रदेश के लाखों संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को लंबे समय से जिस “नियमितीकरण” का इंतजार है, उस पर अब सरकार ने कुछ ठोस संकेत दिए हैं। विधानसभा सत्र के दौरान प्रस्तुत एक रिपोर्ट में यह सामने आया कि प्रदेश के शासकीय विभागों में कार्यरत नियमित कर्मचारियों की संख्या जहां मात्र 6 लाख 6 हजार है, वहीं स्वीकृत पदों की संख्या 9 लाख से अधिक है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी विभागों को खाली पदों पर भर्ती के निर्देश दिए हैं, जिससे संविदा कर्मियों को स्थायी नियुक्ति की आशा बंधी है।

सरकारी विभागों में कर्मचारियों की भारी कमी

राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2024 तक प्रदेश में कुल 6,06,000 नियमित कर्मचारी कार्यरत हैं। वहीं प्रदेश में स्वीकृत पदों की संख्या 9 लाख से अधिक है। इसका मतलब है कि करीब 3 लाख पद वर्तमान में रिक्त हैं। ये रिक्तियाँ मुख्य रूप से प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के पदों में देखी जा रही हैं। कर्मचारियों के रिटायरमेंट और लंबे समय से पदोन्नति प्रक्रिया की धीमी गति के चलते यह संकट और गहरा गया है।

आउटसोर्स और संविदा से चल रहा तंत्र

सरकार ने खाली पदों को भरने के लिए स्थायी नियुक्तियों की बजाय आउटसोर्स और कॉन्ट्रैक्ट आधारित नियुक्तियों का रास्ता अपनाया है। इस वजह से प्रदेश के लगभग सभी विभागों में संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें कई महत्वपूर्ण और गोपनीय कार्य भी शामिल हैं जो संविदा कर्मियों द्वारा किए जा रहे हैं। इससे प्रशासनिक तंत्र की गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार सरकार के मंत्रालयों से लेकर तहसील स्तर तक नियमित वर्कफोर्स की भारी कमी है।

भर्ती अभियान की तैयारी में सरकार

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी विभागों को खाली पदों की जानकारी प्रस्तुत करने और उस पर शीघ्र भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इस पर तेजी से काम किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में रिटायरमेंट के चलते खाली हुए पदों की संख्या लगभग तीन लाख है, जिन्हें भरने के लिए आने वाले महीनों में एक बड़ा भर्ती अभियान चलाए जाने की संभावना है।

रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ है कि प्रशासनिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। पिछले 9 वर्षों से पदोन्नति नहीं होने, दिव्यांग एवं अन्य आरक्षित वर्गों के लिए स्वीकृत पदों पर नियुक्ति नहीं होने और नियमित भर्ती प्रक्रिया में देरी ने सरकार के ढांचे को कमजोर किया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्रदेश में वर्तमान में शासकीय विभागों में 6.06 लाख नियमित कर्मचारी, जबकि उपक्रमों में 33,942, नगरीय निकायों में 29,966, ग्रामीण निकायों में 5,422, विकास प्राधिकरण में 582 और विश्वविद्यालयों में 4,490 कर्मचारी कार्यरत हैं। इस प्रकार कुल सरकारी कर्मचारियों की संख्या 6 लाख 81 हजार है।

90 प्रतिशत अनियमितताओं में संविदा कर्मियों का हाथ

प्रशासनिक रिपोर्ट में यह उल्लेखनीय तथ्य सामने आया है कि सरकारी तंत्र में 90 प्रतिशत अनियमितताओं के पीछे संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों की भूमिका रही है। इससे सरकार के खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ है। इसके बावजूद सरकार की मजबूरी यह है कि जब तक नियमित नियुक्तियाँ नहीं होतीं, तब तक इन्हीं संविदा कर्मचारियों के माध्यम से कार्य कराना पड़ रहा है।

विपक्ष का सरकार पर हमला

संविदा कर्मचारियों के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। विपक्ष का कहना है कि सरकार जानबूझकर संविदा प्रणाली को बढ़ावा दे रही है ताकि कर्मचारियों के अधिकारों को कमजोर किया जा सके। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि संविदा कर्मचारी असुरक्षित माहौल में काम करते हैं और उन्हें समय पर वेतन तक नहीं मिलता।

क्या संविदा कर्मचारियों का होगा नियमितीकरण?

भले ही सरकार ने अब तक सीधे तौर पर संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की घोषणा नहीं की है, लेकिन जिस तरह से खाली पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू करने के संकेत दिए जा रहे हैं, उससे यह उम्मीद जगी है कि पहले से कार्यरत संविदा कर्मियों को वरीयता दी जा सकती है। यह कदम न सिर्फ कर्मचारियों के लिए राहतदायक होगा, बल्कि सरकार की प्रशासनिक क्षमता को भी मजबूत बनाएगा।

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