
Onion Price Update: केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 1 अप्रैल 2025 से प्याज पर लगे 20% निर्यात शुल्क को हटाने का ऐलान किया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब रबी सीजन की फसल की आवक तेज़ है और बाजार में प्याज की कीमतों में भारी गिरावट देखी जा रही है। सरकार का उद्देश्य इस फैसले के जरिए किसानों को बेहतर मूल्य दिलाना और बाजार में कीमतों का संतुलन बनाए रखना है।
राजस्व विभाग ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सिफारिश पर यह अधिसूचना शनिवार को जारी की। प्याज की कीमतों में पिछले एक महीने में अखिल भारतीय स्तर पर थोक बाजार में 39% और खुदरा स्तर पर 10% तक की गिरावट दर्ज की गई है। ऐसे में यह कदम बाजार को स्थिरता देने और किसानों की आय बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
रबी फसल की भारी आवक ने गिराई कीमतें
रबी सीजन के दौरान प्याज का उत्पादन सर्वाधिक होता है और देश के कुल प्याज उत्पादन का करीब 70 से 75 प्रतिशत हिस्सा इसी फसल से आता है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस साल रबी प्याज का अनुमानित उत्पादन 227 लाख टन होगा, जो कि पिछले वर्ष के 192 लाख टन की तुलना में 18% अधिक है। यह रिकॉर्ड उत्पादन है, जिसने बाजार में प्याज की भरपूर आपूर्ति सुनिश्चित की है।
महाराष्ट्र के लासलगांव और पिंपलगांव जैसे प्रमुख थोक बाजारों में भी इसकी झलक देखने को मिली। 21 मार्च को लासलगांव मंडी में प्याज की कीमत 1,330 रुपये प्रति क्विंटल और पिंपलगांव में 1,325 रुपये प्रति क्विंटल रही। यह कीमतें बीते महीनों की तुलना में काफी कम हैं।
निर्यात में बढ़ोतरी, मांग में उम्मीद
सरकार ने 8 दिसंबर 2023 से 3 मई 2024 तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, ताकि घरेलू आपूर्ति में कमी न आए। इसके बाद सितंबर 2024 में प्याज पर 20% निर्यात शुल्क लगाया गया। इसके बावजूद भी 18 मार्च 2025 तक भारत से प्याज का निर्यात 11.65 लाख टन तक पहुंच गया। सितंबर 2024 में प्याज का निर्यात 0.72 लाख टन था, जो जनवरी 2025 में बढ़कर 1.85 लाख टन हो गया।
इससे यह साफ है कि विदेशी बाजारों में भारतीय प्याज की मांग लगातार बनी हुई है। अब जबकि 1 अप्रैल से यह शुल्क हटा दिया जाएगा, तो एक्सपोर्टर्स को अधिक लाभ होगा और निर्यात में और तेज़ी आ सकती है। इससे घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता थोड़ी कम हो सकती है, जिससे कीमतों में हल्की बढ़ोतरी संभावित है।
किसानों को मिलेगा लाभकारी मूल्य
सरकार के इस कदम से सबसे बड़ा लाभ किसानों को मिलेगा। जब प्याज का उत्पादन अधिक होता है, तो थोक बाजार में कीमतें गिर जाती हैं, जिससे किसानों को लागत का भी वाजिब दाम नहीं मिल पाता। निर्यात शुल्क हटने से उन्हें विदेशी बाजारों से बेहतर मूल्य मिलने की संभावना है, जिससे उनकी आमदनी में सीधा इज़ाफा होगा।
इसके अलावा, निर्यात में तेजी से देश के स्टॉक पर भी दबाव कम होगा, जिससे बाजार में आपूर्ति और मांग के बीच बेहतर संतुलन बना रह सकता है।
उपभोक्ताओं के लिए क्या होगा असर?
जहां किसानों को राहत मिल सकती है, वहीं उपभोक्ताओं को प्याज की कीमतों में कुछ बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि रबी फसल की भारी पैदावार के चलते आने वाले महीनों तक पर्याप्त आपूर्ति बनी रहने की संभावना है, जिससे कीमतों में किसी बड़े उछाल की उम्मीद कम है।
सरकार को भी उम्मीद है कि यदि निर्यात में तेजी आती है, तो घरेलू बाजार में कीमतें कुछ हद तक बढ़ सकती हैं, लेकिन यह वृद्धि सीमित होगी और किसी प्रकार की महंगाई का बड़ा असर नहीं डालेगी।
क्या यह फैसला होगा गेमचेंजर?
कुल मिलाकर, Onion Price Update से जुड़ा यह सरकारी फैसला एक संतुलित नीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसका उद्देश्य किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हितों का संरक्षण करना है। किसानों के लिए यह अवसर है कि वे अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य पा सकें, जबकि उपभोक्ताओं के लिए पर्याप्त स्टॉक के चलते कीमतें स्थिर रह सकती हैं।
इस निर्णय का असल असर अप्रैल के पहले सप्ताह से दिखने लगेगा, जब रबी फसल की आवक चरम पर होगी और निर्यातकों को खुली छूट मिलेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि विदेशी बाजारों में कितनी मांग पैदा होती है और उसका घरेलू कीमतों पर क्या असर पड़ता है।