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Statue of Liberty अमेरिका को क्यों दिया फ्रांस ने? अब वापस लेने की उठी मांग – चौंकाने वाला सच!

1886 में दोस्ती की मिसाल के तौर पर अमेरिका को मिला था आज़ादी का प्रतीक Statue of Liberty, लेकिन अब फ्रांस कर रहा है इसे वापस मांगने की बात! क्या बदले हालातों में टूट रहा है ऐतिहासिक रिश्ता? जानिए कैसे पहुंचा था न्यूयॉर्क तक इतना विशाल स्टैच्यू।

By Saloni uniyal
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Statue of Liberty अमेरिका को क्यों दिया फ्रांस ने? अब वापस लेने की उठी मांग – चौंकाने वाला सच!
Statue of Liberty अमेरिका को क्यों दिया फ्रांस ने? अब वापस लेने की उठी मांग – चौंकाने वाला सच!

Statue of Liberty अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित स्मारकों में से एक है और यह केवल एक विशाल प्रतिमा नहीं, बल्कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता का प्रतीक भी है। यह स्टैच्यू अमेरिका को फ्रांस ने वर्ष 1886 में उसके स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ पर उपहार के रूप में दिया था। इस ऐतिहासिक मूर्ति को फ्रांसीसी मूर्तिकार फ्रेडरिक ऑगस्टे बार्थोल्डी ने डिज़ाइन किया था और यह अमेरिका और फ्रांस के बीच दोस्ती, समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों की साझा भावना का प्रतीक माना जाता है।

Statue of Liberty की ऊंचाई करीब 93 मीटर यानी 305 फीट है और यह पूरी तरह से तांबे से बनी हुई है। इसके सिर पर बना सात किरणों वाला मुकुट दुनिया के सात महाद्वीपों और सात समुद्रों का प्रतीक है, वहीं इसके पैरों में पड़ी टूटी हुई जंजीरें गुलामी से आज़ादी को दर्शाती हैं।

ट्रंप की नीतियों से बिगड़े संबंध, अब फ्रांस ने की Statue of Liberty वापस मांगने की बात

हाल के वर्षों में अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच संबंधों में काफी तनाव देखा गया है, खासकर जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति, खासकर व्यापार और रक्षा मामलों में यूरोप से कटाव और यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर उनकी निष्क्रियता, फ्रांस समेत कई यूरोपीय देशों को अखर गई।

इस सबके बीच फ्रांस की वामपंथी पार्टी के सह अध्यक्ष और यूरोपीय संसद के सदस्य राफेल ग्लुक्समान ने अमेरिका से Statue of Liberty वापस करने की मांग कर दी है। उनका कहना है कि अमेरिका अब इस प्रतीक का “काबिल” नहीं रहा है, जो आज़ादी और न्याय के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है।

कैसे पहुंचा था Statue of Liberty अमेरिका तक? जानिए पूरा सफर

इतना बड़ा Statue of Liberty अमेरिका कैसे पहुंचा, यह सवाल भी लोगों के मन में आता है। दरअसल, इस प्रतिमा को फ्रांस में तैयार करने के बाद 350 टुकड़ों में विभाजित किया गया था और फिर उन टुकड़ों को 214 बॉक्सों में पैक किया गया। इसके बाद यह पूरा ढांचा एक जहाज के जरिए अमेरिका भेजा गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस स्टैच्यू को अमेरिका भेजने में एक विशेष जहाज का उपयोग किया गया और इसे 1886 में न्यूयॉर्क हार्बर में स्थापित किया गया। 28 अक्टूबर 1886 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने इसका उद्घाटन किया।

Statue of Liberty की स्थापना के समय फ्रांस ने इसका निर्माण खर्च उठाया था, जबकि अमेरिका ने इसके पेडेस्टल के लिए फंड जुटाया था। अमेरिकी लोगों ने अखबारों और जनसमूह के जरिए चंदा इकट्ठा कर इसका आधार तैयार करवाया था। यह मूर्ति अब न्यूयॉर्क की पहचान बन चुकी है और दुनियाभर से लाखों पर्यटक इसे देखने हर साल यहां आते हैं।

क्या Statue of Liberty अमेरिका को लौटाना संभव है?

फ्रांस द्वारा Statue of Liberty को वापस मांगना फिलहाल एक प्रतीकात्मक और राजनीतिक बयान के रूप में देखा जा रहा है। कानूनी रूप से इस मूर्ति को लौटाना या हटाना बेहद जटिल होगा, क्योंकि यह अब अमेरिका की राष्ट्रीय धरोहर बन चुकी है।

लेकिन यह मांग अपने आप में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बदलते समीकरणों का प्रतीक बन गई है। फ्रांस की यह मांग सिर्फ एक स्टैच्यू की वापसी की नहीं है, बल्कि यह अमेरिकी विदेश नीति और उसकी वैश्विक भूमिका पर सवाल उठाने का तरीका भी बन गया है।

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