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महंगाई से नहीं मिलेगी राहत! सरसों, सूरजमुखी और मूंगफली तेल के दाम में जबरदस्त तेजी

RBI रिपोर्ट का बड़ा खुलासा, एक साल में 40% तक बढ़े खाद्य तेलों के दाम, डेयरी और सब्जियों की बढ़ती कीमतों से जनता बेहाल। खुदरा महंगाई में अस्थायी गिरावट के बावजूद जेब पर भारी पड़ रही महंगाई। जानिए कैसे आपकी थाली हो रही है महंगी और गर्मी में क्या होगा असर!

By Saloni uniyal
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महंगाई से नहीं मिलेगी राहत! सरसों, सूरजमुखी और मूंगफली तेल के दाम में जबरदस्त तेजी
महंगाई से नहीं मिलेगी राहत! सरसों, सूरजमुखी और मूंगफली तेल के दाम में जबरदस्त तेजी

महंगाई दर में गिरावट के बावजूद आम जनता को महंगे खाद्य तेल (Food Oil) से राहत नहीं मिल रही है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, प्रमुख खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। विशेष रूप से सरसों (Mustard Oil), सूरजमुखी (Sunflower Oil) और मूंगफली तेल (Groundnut Oil) के दाम में बीते एक साल के दौरान तीव्र बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे आगामी महीनों में महंगाई दर के फिर से उछाल की आशंका बढ़ गई है।

खाद्य तेल और डेयरी उत्पादों ने बढ़ाया खर्च

RBI की मार्च 2025 के लिए जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक वर्ष में खाद्य मूल्य सूचकांक (Food Price Index) में 7.1 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं दूसरी ओर खाद्य तेलों से जुड़ा प्राइस इंडेक्स 112 से बढ़कर 156 तक पहुंच गया है। इसी तरह डेयरी प्रोडक्ट्स (Dairy Products) का सूचकांक भी 122 से बढ़कर 148.7 पर आ गया है।

इससे स्पष्ट है कि औसत उपभोक्ता की जेब पर महंगाई का असर बना हुआ है। खासकर वे उपभोक्ता जो दैनिक जीवन में इन उत्पादों का नियमित उपयोग करते हैं, उन्हें अपने खर्च में इजाफा महसूस हो रहा है।

खुदरा महंगाई में गिरावट, लेकिन राहत अधूरी

हालांकि, सब्जियों की कीमतों में बीते कुछ महीनों में कुछ हद तक उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, जिससे खुदरा महंगाई दर में अस्थायी गिरावट आई। लेकिन औसत खाद्य सूचकांक की तुलना में खाद्य तेल और डेयरी उत्पादों की कीमतों में कहीं अधिक तेजी रही है।

इस कारण आम उपभोक्ता की मासिक बजट पर सीधा असर पड़ा है। यदि यह प्रवृत्ति गर्मियों के मौसम तक जारी रहती है और फल-सब्जियों के दाम भी बढ़ने लगते हैं, तो महंगाई (Inflation) फिर से सिर उठा सकती है।

थाली की सबसे जरूरी सब्जियों में भी राहत नहीं

थाली में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली सब्जियों की कीमतों में भी कोई विशेष राहत नहीं मिली है। आलू (Potato), प्याज (Onion) और टमाटर (Tomato) की कीमतें बीते साल की तुलना में दोगुनी तक पहुंच गई हैं।

मार्च 2023 में जहां टमाटर का औसत मूल्य मात्र 10 रुपये प्रति किलो था, वहीं मार्च 2025 में यह बढ़कर 19.2 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। इसी तरह आलू की कीमत 18 से बढ़कर 22 रुपये और प्याज 21 से बढ़कर 35.7 रुपये प्रति किलो हो चुका है।

इससे यह संकेत मिलता है कि किसानों को यदि फसली सीजन में भी लागत का संतुलन नहीं मिल रहा, तो उपभोक्ताओं को कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद बहुत कम है।

खाद्य तेल की कीमतों में भारी इजाफा

सूरजमुखी तेल (Sunflower Oil) की औसत कीमत मार्च 2024 में 140 रुपये प्रति लीटर थी, जो मार्च 2025 तक बढ़कर 155.7 रुपये हो गई है। सरसों तेल (Mustard Oil) 150 से बढ़कर 170.4 रुपये और मूंगफली तेल (Groundnut Oil) 185 से बढ़कर 192.7 रुपये प्रति लीटर पहुंच चुका है।

इन आंकड़ों से साफ है कि घरेलू बजट में इन तेलों की हिस्सेदारी बढ़ गई है और यह प्रवृत्ति रुकती नहीं दिख रही।

मूल्य सूचकांकों में अंतर बढ़ा

फरवरी 2024 से फरवरी 2025 के बीच विभिन्न खाद्य उत्पादों के मूल्य सूचकांकों में भी बड़ा अंतर देखने को मिला है। खाद्य तेल 122 से बढ़कर 156 हो गया, डेयरी 122 से 148.7, जबकि मीट 114 से बढ़कर 118 और अनाज 117 से घटकर 112 हो गया है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि खाद्य महंगाई (Food Inflation) में सबसे बड़ा योगदान खाद्य तेल और डेयरी उत्पादों का है, जबकि अनाज की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई हैं।

भविष्य की चिंताएं

यदि यही रुझान जारी रहता है, तो आने वाले गर्मी के महीनों में जब फल और सब्जियों की कीमतें आमतौर पर बढ़ती हैं, तब कुल महंगाई दर (Inflation Rate) में बड़ा उछाल आ सकता है। इससे ना सिर्फ सरकार की नीतियों पर दबाव बढ़ेगा बल्कि आम लोगों की क्रयशक्ति पर भी असर पड़ेगा।

खासकर निम्न और मध्यम वर्ग के लिए स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि उनके मासिक बजट का बड़ा हिस्सा खाद्य खरीद में जाता है।

महंगाई से राहत कब?

सरकार ने आयात शुल्क में छूट, स्टॉक लिमिट और ओपन मार्केट सेल जैसे कुछ उपाय अपनाए हैं, लेकिन इनका दीर्घकालिक प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। यदि घरेलू उत्पादन और आपूर्ति शृंखला में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले महीनों में भी खाद्य महंगाई से राहत मिलना मुश्किल है।

विशेषज्ञों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) और सिंचाई के बेहतर साधनों से कृषि उत्पादकता में सुधार हो सकता है, जिससे मूल्य स्थिरता में मदद मिलेगी।

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