
मद्रास हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर कोई दुर्घटना नशे में धुत ड्राइवर के कारण होती है और उसमें किसी की मौत हो जाती है, तो बीमा कंपनी पीड़ित परिवार को मुआवजा देने के लिए बाध्य होगी। हालांकि, इसके बाद बीमा कंपनी वाहन मालिक से इस रकम की वसूली कर सकती है। इस फैसले का सीधा असर उन मामलों पर पड़ेगा, जहां शराब के नशे में गाड़ी चलाने के कारण घातक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।
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क्या है मामला?
मामला एक सड़क दुर्घटना से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हादसे के बाद मृतक के परिजनों ने बीमा कंपनी से मुआवजे की मांग की थी, लेकिन बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि ड्राइवर नशे में था, इसलिए पॉलिसी की शर्तों के अनुसार, उन्हें मुआवजा देने की जरूरत नहीं है।
इस पर मद्रास हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह पहले पीड़ित परिवार को मुआवजा दे और बाद में वाहन मालिक से यह राशि वसूल सकती है। कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनियां अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकतीं और दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को तुरंत राहत मिलनी चाहिए।
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बीमा कंपनियों की दलील
बीमा कंपनियों का कहना था कि अगर कोई ड्राइवर शराब के नशे में वाहन चला रहा है, तो यह पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है। ऐसे में बीमा कंपनी को मुआवजा देने से छूट मिलनी चाहिए। बीमा कंपनियों का यह भी तर्क था कि इससे गलत संदेश जाएगा और लोग लापरवाह होकर शराब पीकर गाड़ी चलाने लगेंगे।
कोर्ट का तर्क
मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि सड़क दुर्घटना पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। पीड़ित परिवार को कानूनी प्रक्रिया में उलझाने के बजाय तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि बीमा कंपनी बाद में वाहन मालिक से मुआवजे की राशि वसूल सकती है, ताकि किसी निर्दोष परिवार को परेशानी का सामना न करना पड़े।
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फैसले का असर
इस फैसले का व्यापक असर हो सकता है, क्योंकि:
- दुर्घटना पीड़ितों को राहत मिलेगी – बीमा कंपनियों को तुरंत मुआवजा देना होगा, जिससे पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने में देरी नहीं होगी।
- वाहन मालिकों की जिम्मेदारी बढ़ेगी – वाहन मालिक अपने ड्राइवरों पर सख्ती से नजर रखेंगे और नशे में वाहन चलाने से रोकेंगे।
- बीमा कंपनियों के लिए एक नया मॉडल – बीमा कंपनियों को इस नए आदेश के अनुसार काम करने की रणनीति बनानी होगी, ताकि वे बाद में वाहन मालिकों से वसूली कर सकें।
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भविष्य में क्या होगा?
इस फैसले के बाद संभवतः अन्य उच्च न्यायालय भी इसी तरह के निर्णय ले सकते हैं, जिससे बीमा कंपनियों की जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, सरकार भी सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों को लेकर नए कानून बना सकती है।