
गुजारा भत्ता (Alimony) से जुड़ी कानूनी प्रक्रियाएं समय-समय पर चर्चा का विषय बनती रही हैं। आमतौर पर माना जाता है कि तलाक के बाद पति को पत्नी को गुजारा भत्ता देना ही पड़ता है, लेकिन ऐसा हमेशा जरूरी नहीं होता। कुछ विशेष परिस्थितियों में पत्नी गुजारा भत्ता (Maintenance) का दावा नहीं कर सकती। आइए जानते हैं वे कौन-से हालात हैं, जिनमें पति को गुजारा भत्ता देने की जरूरत नहीं होती।
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जब पत्नी के पास खुद की आय के पर्याप्त साधन हों
अगर पत्नी के पास स्थिर और पर्याप्त आय का स्रोत है और वह अपने खर्चों को खुद से पूरा कर सकती है, तो वह पति से गुजारा भत्ता की मांग नहीं कर सकती। कोर्ट आमतौर पर इस बात की जांच करता है कि पत्नी के पास किसी प्रकार की संपत्ति या कमाने का जरिया है या नहीं। यदि पत्नी स्वतंत्र रूप से अपनी जरूरतें पूरी कर सकती है, तो पति को गुजारा भत्ता नहीं देना पड़ता।
पत्नी के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार पर रोक
अगर पत्नी अपने दांपत्य जीवन के दौरान गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाती है, जैसे कि पति को छोड़कर बिना किसी ठोस कारण के अलग रह रही हो या विवाह संबंधी कर्तव्यों का पालन नहीं कर रही हो, तो ऐसे मामलों में उसे गुजारा भत्ता मिलने की संभावना कम हो जाती है।
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विवाह में धोखाधड़ी या अवैध संबंध
यदि पत्नी का विवाह के दौरान किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संबंध (Extramarital Affair) पाया जाता है, तो ऐसे मामलों में पति को गुजारा भत्ता देने से छूट मिल सकती है। अदालत इस आधार पर निर्णय लेती है कि क्या पत्नी का व्यवहार विवाह की पवित्रता को भंग करने वाला है।
पत्नी द्वारा पति पर झूठे आरोप लगाना
अगर पत्नी अपने पति पर झूठे आरोप लगाती है, जैसे कि दहेज उत्पीड़न (Dowry Harassment), घरेलू हिंसा (Domestic Violence) या अन्य कानूनी मामलों में फंसाने की कोशिश करती है, तो यह भी एक ऐसा कारण हो सकता है, जहां पति को गुजारा भत्ता नहीं देना पड़ता। अदालत ऐसे मामलों में तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर निर्णय लेती है।
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पत्नी की पुनर्विवाह की स्थिति
अगर तलाक के बाद पत्नी ने पुनर्विवाह (Remarriage) कर लिया है, तो वह अपने पहले पति से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती। नए विवाह के बाद पत्नी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उसके नए पति पर होती है।
सक्षम संतान होने पर भी गुजारा भत्ता नहीं
अगर तलाकशुदा महिला के वयस्क और सक्षम संतानें हैं, जो उसकी आर्थिक जिम्मेदारी उठा सकती हैं, तो ऐसे मामलों में पति पर गुजारा भत्ता देने का बोझ नहीं आता। खासकर जब संतानें अच्छी नौकरी में हों और माता की देखभाल करने में सक्षम हों।
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कोर्ट का निर्णय व्यक्तिगत तथ्यों पर निर्भर
हर तलाक और गुजारा भत्ता का मामला अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कोर्ट कई कारकों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता है, जैसे कि पति और पत्नी की आर्थिक स्थिति, विवाह की अवधि, पत्नी की शिक्षा और कौशल आदि। इसलिए, हर मामले में यह तय नहीं किया जा सकता कि पति को गुजारा भत्ता देना होगा या नहीं।