
होलाष्टक 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च 2025 से हो रही है और इसका समापन 13 मार्च 2025 को होगा। होलाष्टक की अवधि में विवाह, गृह-प्रवेश जैसे सभी शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं होती, जिससे कार्यों में विघ्न-बाधा उत्पन्न हो सकती है।
होलाष्टक की पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, होलाष्टक की अवधि में भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने कई यातनाएं दी थीं। इस दौरान पूजा-अर्चना और जप-तप के कार्य शुभ माने जाते हैं।
होलाष्टक में क्या करें?
हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप: होलाष्टक की अवधि में हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना पुण्यफलदायी माना गया है। इससे जीवन में सकारात्मकता आती है। दान-पुण्य: इस दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े और धन का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। पितरों का तर्पण: होलाष्टक में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना लाभकारी माना जाता है।
होलाष्टक में क्या न करे
होलाष्टक के दौरान शादी-विवाह, गृह-प्रवेश और मुंडन संस्कार जैसे मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए। और इस अवधि दौरान में नए घर का निर्माण शुरू करने से बचना चाहिए।
कीमती वस्तुओं की खरीदारी से बचें: सोना, चांदी और नए वाहन जैसी कीमती चीजों की खरीदारी करना शुभ नहीं माना जाता है। सोना, चांदी और नए वाहन जैसी कीमती चीजों की खरीदारी करना शुभ नहीं माना जाता है। इसके अलावा ध्यान रखे की आप क्रोध और वाद-विवाद से बचें इस अवधि में क्रोध और वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए।
होलाष्टक का धार्मिक महत्व
होलाष्टक के दौरान भक्त प्रह्लाद की कथा का विशेष महत्व है। इस अवधि में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
होलाष्टक के दौरान व्रत और उपवास
होलाष्टक की अवधि में भक्तों को व्रत और उपवास करने की सलाह दी जाती है। इससे मन की शुद्धि होती है और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
होलाष्टक और होली का संबंध
होलाष्टक की समाप्ति के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष होली 14 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। होलाष्टक की अवधि में भक्त प्रह्लाद की कथा और होली के पर्व का गहरा संबंध है।
होलाष्टक के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
होलाष्टक के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, सगाई, मुंडन जैसे शुभ कार्यों से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है。 हालांकि, ध्यान, पूजा-पाठ, हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ होता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है。 इसके अलावा, जरूरतमंदों को दान देना और पितृ तर्पण करना भी लाभकारी माना जाता है。 नए घर का निर्माण, सोना-चांदी या वाहन खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि यह समय इन कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होता。 इस दौरान क्रोध और वाद-विवाद से भी दूर रहना चाहिए, ताकि मानसिक शांति बनी रहे।
होलाष्टक 2025: शुभ कार्यों पर रोक, जानें क्या करें और क्या न करें
होलाष्टक 2025: 7 मार्च से 13 मार्च तक होलाष्टक की अवधि में विवाह, गृह-प्रवेश जैसे शुभ कार्यों पर रोक है। जानें इस दौरान कौन से कार्य करने चाहिए और किनसे बचना चाहिए।