![सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! दूसरी शादी में तलाक के बाद भी देना होगा भरण-पोषण खर्च – जानिए पूरा मामला](https://newzoto.com/wp-content/uploads/2025/02/Important-decision-of-Supreme-Court-1024x576.jpg)
देश की सर्वोच्च अदालत ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया कि यदि पति ने दूसरी शादी की है और तलाक के बाद भी उसकी पहली शादी का मामला न्यायालय में लंबित है, तो वह दूसरी पत्नी को भरण-पोषण से वंचित नहीं कर सकता। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पति को अपनी पत्नी की देखभाल का दायित्व निभाना होगा, भले ही उसकी पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त न हुई हो।
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कोर्ट का आदेश और तर्क
तेलंगाना के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने यह निर्णय सुनाया। न्यायालय ने कहा कि यदि पहली शादी आपसी सहमति से समाप्त हो चुकी है, तो इसका दूसरी शादी से कोई संबंध नहीं है। कानूनी प्रक्रियाओं के चलते भरण-पोषण की जिम्मेदारी प्रभावित नहीं होगी।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला तेलंगाना की उषा रानी से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने एम. श्रीनिवास से 1999 में शादी की थी। यह उनकी दूसरी शादी थी। शादी के एक साल बाद, दोनों को एक बेटा हुआ, लेकिन वर्ष 2005 में आपसी मतभेदों के कारण उनका तलाक हो गया। उषा रानी ने अपने और अपने बेटे के लिए भरण-पोषण की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, उनके पति श्रीनिवास की पहली शादी का मामला अभी भी कोर्ट में लंबित था, जिसके चलते उन्हें राहत नहीं मिली।
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उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई
हैदराबाद हाई कोर्ट ने भी उषा रानी की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि कानूनी रूप से उषा रानी श्रीनिवास की पत्नी थीं और उनका एक बेटा भी था। इस स्थिति में भरण-पोषण से इनकार करना अन्याय होगा। लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उषा रानी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके भरण-पोषण की मांग को जायज ठहराया।
फैसले का व्यापक प्रभाव
इस फैसले का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह उन मामलों में नजीर बनेगा जहां पति अपनी पहली शादी की अधूरी कानूनी स्थिति का हवाला देकर दूसरी पत्नी को भरण-पोषण से वंचित करने की कोशिश करता है। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि पति ने दूसरी शादी की है, तो उसकी जिम्मेदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, चाहे पहली शादी का मामला अभी लंबित हो।