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मकान किराए पर देने वालों के लिए बड़ी खबर! सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, जानना जरुरी

सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले ने मकान मालिकों को किराए की संपत्ति खाली कराने का पूरा हक दे दिया है। अब किरायेदारों की नहीं चलेगी! जानें, कैसे बदलेगा ये नियम मकान मालिक और किरायेदार के रिश्ते को। पढ़ें पूरी खबर और जानें आपको इससे क्या नुकसान या फायदा हो सकता है

By Saloni uniyal
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मकान किराए पर देने वालों के लिए बड़ी खबर! सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, जानना जरूरी
मकान किराए पर देने वालों के लिए बड़ी खबर! सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, जानना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि मकान मालिक अपनी आवश्यकताओं के अनुसार यह तय करने का सर्वोत्तम अधिकारी है कि किराए पर दी गई संपत्ति का कौन सा हिस्सा खाली कराया जाए। किरायेदार इस आधार पर बेदखली का विरोध नहीं कर सकता कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां भी उपलब्ध हैं। यह फैसला मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच के संबंधों में एक महत्वपूर्ण दिशा प्रदान करता है।

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सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मकान मालिकों के अधिकारों की पुष्टि करता है और यह स्पष्ट करता है कि वास्तविक आवश्यकता की स्थिति में मकान मालिक को यह तय करने का अधिकार है कि कौन सी संपत्ति खाली कराई जाए। किरायेदार इस निर्णय में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, भले ही मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां उपलब्ध हों।

मामला: अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करने की आवश्यकता

इस मामले में, एक मकान मालिक ने अपने दो बेरोजगार पुत्रों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करने की आवश्यकता जताते हुए किराएदार से संपत्ति खाली कराने की मांग की थी। निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने मकान मालिक की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अपने फैसले में कहा, “मकान मालिक की वास्तविक आवश्यकता के आधार पर किराएदार को बेदखल करने का कानून अच्छी तरह से स्थापित है। मकान मालिक ही यह तय करने का सर्वोत्तम अधिकारी है कि उसकी विशेष आवश्यकता को पूरा करने के लिए उसकी संपत्ति का कौन सा हिस्सा खाली कराया जाए। किरायेदार की यह तय करने में कोई भूमिका नहीं है कि मकान मालिक को किस संपत्ति को खाली कराना चाहिए।”

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किरायेदार की दलील खारिज

किरायेदार ने तर्क दिया था कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्तियां भी हैं, जिन्हें वह अपनी आवश्यकता के लिए उपयोग कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि एक बार मकान मालिक की वास्तविक आवश्यकता स्थापित हो जाने पर, किरायेदार मकान मालिक को अपनी सुविधा के अनुसार किसी अन्य संपत्ति को खाली कराने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।

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संपत्ति की उपयुक्तता

अदालत ने यह भी माना कि विवादित संपत्ति अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करने के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह एक मेडिकल क्लिनिक और पैथोलॉजी सेंटर के निकट स्थित है। इससे स्पष्ट होता है कि मकान मालिक की आवश्यकता वास्तविक और तर्कसंगत है।

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